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Showing posts from January, 2019

मैं ठूंठ रहा हूँ

मंजिले   जो   रोज  न  बदले ,                    एक  अदद  ऐसी  मैं  ठूंठ  रहा हूँ |      हो  सितारा  एक  जो  सब  राख़ कर  दे ,                      वो  सवेरा   ऐसा   मैं  ठूंठ  रहा  हूँ |     पाकर  जिसे  लगे  मैं  हूँ  अधूरा ,                                    एक  अदद  दिलबर  जिसे  मैं  ठूंठ  रहा  हूँ |    बिन बोले जो जान जाए सारी हक़ीक़त,        दोस्त    एक  ऐसा जो  मैं  ठूंठ रहा  हूँ |  ख्वाब  जो  करते  हो व्यर्थ  बातें ,              एक  नींद  ऐसी  जिसे  मैं  ठूंठ रहा  हूँ |  तेरे  लिए  ही  सब  छोड़   मैं  वापस  आया ,                          तुझमे  तुझको  आज  मैं क्यूँ  ठूंठ  रहा हूँ ! तुम  तक  पहुंचा  सके   जो मेरी  बात शायद,                 एक  डाकिया  ऐसा  जिसे  मैं  ठूंठ  रहा  हूँ |  मिलकर  लगे   न  जिससे  कभी  अकेला ,                         तुम ही तो वो हो   जिसे  मैं  आजकल ठूंठ  रहा  हूँ |    चाह कर भी तुमसे न मिल पाया, वो था क्या कुछ अनकहा  सा जिसे मैं  ठूंठ रहा हूँ |       

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