मैं ठूंठ रहा हूँ

मंजिले   जो   रोज  न  बदले ,
                   एक  अदद  ऐसी  मैं  ठूंठ  रहा हूँ | 

    हो  सितारा  एक  जो  सब  राख़ कर  दे ,
                     वो  सवेरा   ऐसा   मैं  ठूंठ  रहा  हूँ | 

   पाकर  जिसे  लगे  मैं  हूँ  अधूरा ,
                                   एक  अदद  दिलबर  जिसे  मैं  ठूंठ  रहा  हूँ | 

  बिन बोले जो जान जाए सारी हक़ीक़त,
       दोस्त    एक  ऐसा जो  मैं  ठूंठ रहा  हूँ | 

ख्वाब  जो  करते  हो व्यर्थ  बातें ,
             एक  नींद  ऐसी  जिसे  मैं  ठूंठ रहा  हूँ | 


तेरे  लिए  ही  सब  छोड़   मैं  वापस  आया ,
                         तुझमे  तुझको  आज  मैं क्यूँ  ठूंठ  रहा हूँ !

तुम  तक  पहुंचा  सके   जो मेरी  बात शायद,
                एक  डाकिया  ऐसा  जिसे  मैं  ठूंठ  रहा  हूँ | 

मिलकर  लगे   न  जिससे  कभी  अकेला ,
                        तुम ही तो वो हो   जिसे  मैं  आजकल ठूंठ  रहा  हूँ | 

  चाह कर भी तुमसे न मिल पाया,

वो था क्या कुछ अनकहा  सा जिसे मैं  ठूंठ रहा हूँ | 


     

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