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Blog Poetry ''University Masti'' is a freelancer blog dedicated to Hindi/English prose or poetry. Only original writing content is accepted.
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मंजिले जो रोज न बदले ,
हो सितारा एक जो सब राख़ कर दे ,
पाकर जिसे लगे मैं हूँ अधूरा ,
बिन बोले जो जान जाए सारी हक़ीक़त,
ख्वाब जो करते हो व्यर्थ बातें ,
तेरे लिए ही सब छोड़ मैं वापस आया ,
तुम तक पहुंचा सके जो मेरी बात शायद,
मिलकर लगे न जिससे कभी अकेला ,
Comments
Bahut Sundar....mil jae to hme bhi btaiyo...
ReplyDeleteHa q Nhi….
DeleteNice
ReplyDeleteThanks
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