आप तलाशते रहिए सच्चे हमसफर जिंदगी भर, झोंकते रहिए खुद को अंतहीन वेदनाओं से रोजाना, और अंत में जब किसी के सारे कष्ट अपने लगने लगे, तब समझो तुम्हारी तलाश पूरी हुई । आप चलते रहिए तमाम उम्र सफ़र में, अपना लीजिए हर एक को जो भी रुकना चाहे हजर में, आसां लगने लगे मंजिल जिसके होने से कठिन डगर में, तब समझो तुम्हारी तलाश पूरी हुई । हुनर की आलोचना भी हो, प्रतिकार हो दंभ का भी, अश्रु पूरित हो नयन जब, प्रेम हो, विकल भी, कल्पनाएं जब हकीकत सी लगने लगे, तब समझो तुम्हारी तलाश पूरी हुई ।
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Bahut Sundar....mil jae to hme bhi btaiyo...
ReplyDeleteHa q Nhi….
DeleteNice
ReplyDeleteThanks
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