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Showing posts from April, 2019

वो

                वो  देख कर मुस्कुराता  भी  नहीं,  प्यार उसे है पर वो  जताता ही नही।                    दूरियाँ यकीनन अच्छी है मगर, पास रहकर  वो  बुलाता भी  नहीं।                         सितमगर है वो चाहने वाला , औरो की तरह  मगर वो सताता भी  नहीं ।               मिन्नतें रोज करती है  उससे वो थक हारकर, रूठने पर मगर वो मनाता ही नहीं।                        दर ब दर टूट रहा वो कतरा कतरा, उलझने  अपनी  वो  बताता  भी नहीं।                        ज़ख्म नासूर बन गया है उसका  अब, इलाज के लिए कहीं और  दिखाता ही नहीं ।                          औरा ही अलग है  उसका, वो  खुदा है, कुछ छिपाता ही  नहीं । 

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