वो
वो देख कर मुस्कुराता भी नहीं,
प्यार उसे है पर वो जताता ही नही।
दूरियाँ यकीनन अच्छी है मगर,
पास रहकर वो बुलाता भी नहीं।
सितमगर है वो चाहने वाला ,
औरो की तरह मगर वो सताता भी नहीं ।
मिन्नतें रोज करती है उससे वो थक हारकर,
रूठने पर मगर वो मनाता ही नहीं।
दर ब दर टूट रहा वो कतरा कतरा,
उलझने अपनी वो बताता भी नहीं।
ज़ख्म नासूर बन गया है उसका अब,
इलाज के लिए कहीं और दिखाता ही नहीं ।
औरा ही अलग है उसका,
वो खुदा है, कुछ छिपाता ही नहीं ।
बाप रे ये तो दिल को चीरते हुए जा रहा भाई ......
ReplyDeleteSach me
DeleteSuperb
ReplyDeleteThanks
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