Skip to main content

Posts

Showing posts from August, 2020

स्नेह

जब करने को कुछ नहीं बचा, तब इंसान ने लिखा और रचा बसा । प्यार, इश्क़ और विरह की वेदनाएं, भूत, प्रेत और भी कई बड़ी बड़ी रचनाएं । सैनिक, महल, राजा और रानी, योद्धा, वीर , कायर और दानी । समंदर, रेत, नदी और पानी, छोटी बच्ची और उसके दादा दादी की कहानी। रसगुल्ला , गुलाब जामुन या रसमलाई,  कैंसर, सुगर या बीपी की दवाई । समोसे, पपड़ी या ठेले की चाट, ग्लूकोज की बोतल या सायद च्यवनप्राश। हवा, आसमान और उस पर उड़ती हुई पतंग, भौरे, तितली और फूलों के चटक रंग । गांव, शहर और बड़े मकान, बच्चे, बूढ़े और कंपट की दुकान । जेठ की धूप, प्यास और एक रोटी की भीख, सेठ, साहूकार और मिल मजदूर की चीख । पुलिस, अदालत और एक जज, रुपया, पैसा और एक गरीब बेबस। आंधी, बरसात या बिजली का प्रलाप, छिपकली, नेवला या फिर हो चाहे सांप । जुआ, शराब या घर का कलेश, छल, कपट और आखिर में  स्नेह ।

Adv

Followers

Wikipedia

Search results

Visitor No.

Translate