स्नेह

जब करने को कुछ नहीं बचा,
तब इंसान ने लिखा और रचा बसा ।
प्यार, इश्क़ और विरह की वेदनाएं,
भूत, प्रेत और भी कई बड़ी बड़ी रचनाएं ।

सैनिक, महल, राजा और रानी,
योद्धा, वीर , कायर और दानी ।
समंदर, रेत, नदी और पानी,
छोटी बच्ची और उसके दादा दादी की कहानी।

रसगुल्ला , गुलाब जामुन या रसमलाई,
 कैंसर, सुगर या बीपी की दवाई ।
समोसे, पपड़ी या ठेले की चाट,
ग्लूकोज की बोतल या सायद च्यवनप्राश।

हवा, आसमान और उस पर उड़ती हुई पतंग,
भौरे, तितली और फूलों के चटक रंग ।
गांव, शहर और बड़े मकान,
बच्चे, बूढ़े और कंपट की दुकान ।


जेठ की धूप, प्यास और एक रोटी की भीख,
सेठ, साहूकार और मिल मजदूर की चीख ।
पुलिस, अदालत और एक जज,
रुपया, पैसा और एक गरीब बेबस।

आंधी, बरसात या बिजली का प्रलाप,
छिपकली, नेवला या फिर हो चाहे सांप ।
जुआ, शराब या घर का कलेश,
छल, कपट और आखिर में  स्नेह ।




Comments

  1. Yhi kinare baidhke hi likhe kya.......unnati...kr rha Bhai Mera ....bhut hua lukkka chupi chal aa ja Apne 10*10 k banglow m..@Katra...

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