मेरी डायरी #3



 मैं जिंदगी भर जिसे ढूँढता रहा,
वह खुद मेरे अंदर था...
 आँधी सा, तूफान सा ,
 हिल्लोरे लेता एक समंदर था...
 छिपा रखे थे, उसने राज कैसे कैसे,
 गुफा था या कंदर था...
 मिलेगा किसी रोज तो बता देंगें उसे,
 जालसाजों के बीच बस वही इक सिकंदर था ...
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कभी अंजान बनकर खुद से सवाल करिए,
इक ज़ुमले का आज इस्तेमाल करिए,
Live & let live कहने से क्या होगा,
दो चार जिँदगियोँ को आप भी ऩिहाल करिए,
मासूम जो कबाड़ बुनते हैँ,
खुद से थोडे ना ये राह चुनते हैँ,
वो भी सपने बुनते हैँ,
आज उनका तल्ख-ए-दीदार करिए,
कभी अंजान बनकर खुद से सवाल करिए...
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india cant be a will power untill a single person is suffered from daily needs :-roti, kapda, mkan...
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have a good day


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