बँटवारा

चलो बँटवारा कर लेते हैं,
कुछ हिस्सों का...
जो मांगने पर भी न दे सके तुम !
कुछ किस्सों का
जो हमारे हो सकते थे ,
पूरे हुये बिना जिनके अधूरे रह गये तुम...
कुछ यादें भी हैं, 
बेदर्द सी सिमटी हुई सी एक कोने में ...

वायदें भी तो किये गये थे न ,
बरसों लग जाएंगे शायद जिसे पूरा होने में ...
कुछ दूर और चलना था न साथ में,
                 हाथ डाले  एक दूसरे के हाथ में…

क्या नहीं जी सकते वो ज़िंदगी हम भी।
                बिना समाज की परवाह किए  हुए,
 उससे डरे हुए.. 

तुम्हे ज्यादा परवाह थी समाज की शायद,
पर सही है,
मेरी तो फिलॉसफी ही जुदा है| 
शोध और इश्क़ में जरूरी है.. 
 धैर्य का होना।
***
#आधा_अधूरा 
#इश्क़ 
#अधूरी_कविता

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