प्रेम गीत

मैंने लिखे थे कुछ प्रेम गीत,
जो जला दिए वक्त ने,
वक्त से पहले।

उन गीतों में जिक्र था बस दो लोगों का,
समाज और हम,
हम जो की एक किताब के होते हुए भी,
अलग मानसिकता के पन्ने थे,
इसलिए जला दिए मैंने वो पत्र,
किसी का घर राख होने से पहले।

उन गीतों में मधुरता भी थी,
और था प्रेम का संपूर्ण सौंदर्य,
जिसको सुन कर, तुम कहती,
कि क्यों न मिल पाए हम,
                इससे पहले !

प्रेम गीतों की यही नियति होती है शायद,
वो किसी और के लिए लिखे जाते हैं,
किसी और को सुनाने के लिए,
जब कोई और प्रेम में होता है,
उन्हें सुनाने से पहले ।




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