वो जो गीत न बन पाए...
१
पतझड़ भी बीत गई, बहार भी न आए
सर्द है जो मौसम, करार भी न आए !
बनना था जिन्हें मीत मेरा,
मेरी कविता का वो, गीत भी न बन पाए।
२
सहमा है सब कुछ, रूह से न सही, इश्क का व्यापार अच्छा है।
३
ये तो उसका रहमोकरम है,
जब जी चाहा याद किया, जब जी चाहा भूल गए !
४
कल से और शाम हसीं होगी,
कल से वो जुदा होंगे धीरे धीरे।
५
यूं ही चलो, किसी सफर में चला जाए
बेवजह मंजिल को क्यों, याद किया जाए।
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