किताबों से लदी वो शामें, वो रातों की बातें,
चाय के प्यालों में घुलती सपनों की मुलाकातें।
हर दोस्त एक कहानी, हर लम्हा एक गीत,
कभी जीत, कभी हार, हर दिन एक नई रीत।
कैंपस के गलियारों में जो हंसी की गूंज थी,
वो सन्नाटों में भी एक खामोश धुन सी थी।
छोटी-छोटी बातों पर बड़े-बड़े अरमान,
सपनों के पीछे भागते हुए हम सब थे नादान।
वो लम्हे, वो किस्से, जो किताबों में नहीं,
दिल के किसी कोने में सहेज कर रखे हैं कहीं।
यूनिवर्सिटी की मस्ती का वो मौसम अनमोल,
जैसे बरसों बाद भी रहेगा दिल में कोई कच्चा गोल।
Comments
Post a Comment
Thank you for your comment. For more queries contact us and please share and follow the blog