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SUPRABHAT

Welcome to the new world of blogging.


I am here to give you an all-new experience of truth, analysis, fiction and my opinion about various things. Here is a pretty Kolkata noon. Please Follow and give your feedback so that I may improve this blog according to your choices. You may also comment about what you think I should able to talk/write on. So enjoy the Mansoon. And be ready with me. Thank you.



Anand



June 06, 2015
SNBNCBS,Kolkata
  

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हमसफर

आप तलाशते रहिए  सच्चे हमसफर जिंदगी भर, झोंकते रहिए खुद को  अंतहीन वेदनाओं से रोजाना, और अंत में जब  किसी के सारे कष्ट अपने लगने लगे, तब  समझो तुम्हारी तलाश पूरी हुई । आप चलते रहिए तमाम उम्र सफ़र में, अपना लीजिए हर एक को  जो भी रुकना चाहे हजर में, आसां लगने लगे मंजिल  जिसके  होने से  कठिन डगर में, तब समझो तुम्हारी तलाश पूरी हुई । हुनर की आलोचना भी हो,  प्रतिकार हो दंभ का भी, अश्रु पूरित हो नयन जब, प्रेम हो, विकल भी, कल्पनाएं जब हकीकत सी लगने लगे, तब समझो तुम्हारी तलाश पूरी हुई ।

ईश्वर की अवधारणा

 सबसे अहम और अस्पष्ट सवाल का उत्तर अगर कुछ है तो वो है ईश्वर के बारे में, अन्यथा हमने अभी तक सभी रहस्मयी गुत्थियों को सुलझा लिया है। इस दुनिया में सबसे ऊर्जा दायक अगर कोई हैं तो वो हैं ईश्वर, अगर कोई स्थान है तो वह है 'ईश्वर का घर जिसको हमने मंदिर, मस्जिद, चर्च आदि नाम दिया है। मगर ऐसा क्यूं?  ऐसा क्या है जो सब ईश्वर से इतनी शक्ति प्राप्त करते हैं? जो उन्हें इतनी ऊर्जा प्रदान करती है। ईश्वर, भगवान, खुदा कोई भी हो सकता है जिससे सभी को सतत् प्रेरणा या ऊर्जा मिलती है। लेकिन ऐसा क्यूं है कि ईश्वर में हमें इतनी दिलचस्पी है।ऐसा इसलिए है क्यूंकि ईश्वर ऊर्जा का सतत स्त्रोत है । ईश्वर के घर के बारे में जानने से पहले हमें जानना होगा ईश्वर क्या हैं? कौन हैं? कैसे हैं? जिसका हम इतना सम्मान करते हैं। लोग जो अपनी दिन भर की भागादौड़ी से थक जाते हैं उनको शांति चाहिए होती है तो वो ऐसी चीज की तलाश में रहते हैं जिससे उन्हें शांति मिले या फिर वो थोड़ा आराम करके पुनः अपनी एक अच्छी शुरुआत कर सकें। ईश्वर वह आदर्श है जो निरंतर प्रेरणा देता है और हमें उन्हें देखकर ये भावना उत्पन्न होती है कि हमें भी अब अपन

तुम्हारे चले जाने के बाद

 तुम्हारे चले जाने के बाद मेरे हिस्से आया एकांत, जो ठीक वैसा ही सुकून दायक है, जैसे तुम हो, लेकिन इसका मतलब ये कतई नहीं कि तुम मत आओ, तुम्हारे चले जाने के बाद मैंने चाहा तुम आओ, और मेरे कंधे से बोझ को हल्का कर दो , परंतु तुमने मुझे इतना मजबूत बनाया है कि इसकी ज़रूरत नहीं, मैं चाहती हूं तुम घनघोर बारिश में, कभी कभी भीगकर मेरे लिए आओ ! मैं चाहती हूं तुम फिर आओ,  मेरी इन शामों में जैसे पहले आया करते थे, और मेरा हाथ पकड़ कर अपनी सारी बातें बताओ ! फिलहाल तुमको जैसा ठीक लगे तुम वैसे आओ, मेरे लिए तुम्हारा आना ज़रूरी है ! Pic credit- By one of the page followers

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