जाना

ये जानते हुए भी कि जाना हिंदी की सबसे भयानक क्रिया है,
मैने जाने के प्रभाव को कभी अपने पे हावी नहीं होने दिया।
 कुछ इस तरह जैसे घर से जाते हुए मैने कभी मुड़कर नहीं देखा,
अपने प्रियजनों से दूर जाते हुए उनकी आँखों में नहीं देखा या फिर उनसे पहले कि तरह मुस्कुरा के बात नहीं किया ,
किसी खूबसूरत या फिर अपनी पसंद की जगह से दूर जाते हुए उस जगह से खुद को तुरंत ऐसे अलग किया जैसे वो जगह मेरी थी ही नहीं,
भले ही मन का एक हिस्सा उधर ही छूट गया हो या फिर उस जगह ने मन जिस कोने को अपना घर बनाया था
 उस घर को यूं तबाह कर दिया हो जैसे उसका कोई अस्तित्व ही न रहा हो,
और कुछ इस तरह जाने जैसी भयानक क्रिया के प्रभाव को एक भ्रम की अवस्था में,
उस कहर प्रभाव से मैने खुद को बचा लिया।




~शिखा 

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