पहचान
मुझे नहीं चाहिए किसी की परोसी हुई प्रसिद्धि,
मैं अपना पहचान बनाने में काफी हूं
हां मुझे पता है मैं उतना मजूबत नहीं पर इतना कमजोर नहीं जो आसानी से हार मान ले,
मुझे सफलता या फिर असफलता का खौफ नहीं,
मुझे तो उससे पहले एक अच्छा इंसान बनना है
मुझे नहीं फ़र्क पड़ता कौन मेरे बारे में क्या बोलता है,
मुझे तो बस एक सुंदर सुखद मेरे अनुसार अंत से मतलब है,
मुझे चीजों को अपने अनुसार चलने का शौक नहीं है,
मुझे समय के साथ चलना आता है
मुझे फर्क नहीं पड़ता कौन मेरा साथ दिया कौन नहीं दिया,
मुझे अकेले आखिरी तक खड़े होके लड़ना आता है,
मैंने कभी किसी के आदेश का इंतजार नहीं किया,
जो सही था या फिर को मुझे सही लगा वो मैंने किया (क्यूंकि सभी का अपना अपना सही और गलत होता है)
मैं रह सकती हूं बिना विचलित हुए कठोर निर्ममता,
बिना प्रेम या फिर इससे भी बदतर किसी दूसरी परिस्थिति में...
~शिखा
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