मापदंड
भ्रम या फिर वास्तविकता,
या फिर एक मापदंड,
पर जो भी है
उसे इंसान को सही या ग़लत
शर्मशार या गर्वित,
सफल या फिर असफल,
खुश या फिर दुखी
बनाने में कभी शायद गलत इंसान का चुनाव नहीं हुआ होगा,
समय को पता है चीज़ें कब ठीक करनी है
या फिर आपको मजबूत बनाने के लिए चीजों को आपके विपरीत,
पर शायद जो भी समय ने किया या फिर हमने मेहनत करके समय को मजबूर किया,
अच्छा ही हुआ है,
वो बोलते हैं ना कि जब धागे उलझे हुए होते हैं तो उन्हें ढीला छोड़ देना चाहिए
अन्यथा ज्यादा खींचने पर गांठ पड़ जाती है या उससे कन्ही ज्यादा धागा टूट भी सकता है।
हां, पता है जब सब कुछ विपरीत चल रहा होता है तो उस समय हम ये जानते हुए भी धैर्य नहीं रख सकते,
पर यही तो सही परीक्षण है समय का हमारे अंदर धैर्य को जांचने को।
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