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Showing posts from 2019

इंतजार

कभी आओ फुर्सत में बैठे हुए मिलो, सर्दियों की धूप में टहलते हुए मिलो, यकीनन मैं अच्छा नहीं तो क्या ! यही बताने के लिए लड़ते हुए  मिलो । दूरियां अच्छी होती हैं क्या रिश्ते के लिए ! चलो अब गुस्सा छोड़ कर हंसते हुए  मिलो । वास्ता जरा कम रहा है तुमसे, अच्छा इसी बहाने चाय पर कुछ कहते हुए मिलो ।  रंग जरा कम पसंद हैं मुझे,  तो क्या, होली में अब की गले लगते हुए मिलो । महज  प्यार करना ही काफी नहीं हुजूर, कभी तो  इश्क ए इजहार करते हुए मिलो । माना मसरूफ रहते हो आजकल तुम,  तो दिन में ना सही, सांझ ढलते हुए मिलो । जमाने की फिकर क्यूं सताती  तुम्हें, इश्क़ गर है तो, जमाने से लड़ते हुए मिलो ! *** #After_Christmas #After_A_While #Diary #love #NewYear2020

नमन‌ : एक श्रद्धांजलि

चलो कुछ ऐसा कर्म करें, उन करोड़ों लोगों का नमन करें, चल पड़े थे जो बिना सोचे समझे, ताकि हमारे चेहरे पर ना कोई शिकन रहे | चलो कुछ ऐसा कर्म करें... जहां ना हिंसा, ना टकरार हो,   ना दंगा, ना मझधार हो, सम्पूर्ण जगत भी जहां अभिन्न अंग बने | चलो कुछ ऐसा कर्म करें... जहां ना हो कोई सिख ईसाई, बस केवल हो सब भाई भाई, शिया सुन्नी  जहां सब प्रसन्न रहें, चलो कुछ ऐसा कर्म करें... आनंद की जहां बातें हो,   हर दिन ईद दिवाली की रातें हो , जहां सब की सुनी जाती हो, कोई ना जाति पाती हो, क्यों न ऐसे, नवीन भारत का हम सृजन करें ! चलो कुछ ऐसा कर्म करें... जहां न झूठे वादे हो, सिर्फ सुशासन की बातें हो, जहां मन में पक्के इरादे हो, जख्म कुरेदे़ न जाते हो, क्षमा, दया जहां समाज का एक अभिन्न अंग बने, चलो ऐसा कुछ कर्म करें... ऐसा मुश्किल हो सकता है, पर प्रयास करने में क्या लगता है, युवा जहां खूब श्रम करें, चलो फिर से इक नये भारत का हम सृजन करें !! **** #मेरे_सपनो_का_भारत #New_India #महात्मा_गांधी_को_समर्पित

वो

                वो  देख कर मुस्कुराता  भी  नहीं,  प्यार उसे है पर वो  जताता ही नही।                    दूरियाँ यकीनन अच्छी है मगर, पास रहकर  वो  बुलाता भी  नहीं।                         सितमगर है वो चाहने वाला , औरो की तरह  मगर वो सताता भी  नहीं ।               मिन्नतें रोज करती है  उससे वो थक हारकर, रूठने पर मगर वो मनाता ही नहीं।                        दर ब दर टूट रहा वो कतरा कतरा, उलझने  अपनी  वो  बताता  भी नहीं।                        ज़ख्म नासूर बन गया है उसका  अब, इलाज के लिए कहीं और  दिखाता ही नहीं ।                          औरा ही अलग है  उसका, वो  खुदा है, कुछ छिपाता ही  नहीं । 

मैं ठूंठ रहा हूँ

मंजिले   जो   रोज  न  बदले ,                    एक  अदद  ऐसी  मैं  ठूंठ  रहा हूँ |      हो  सितारा  एक  जो  सब  राख़ कर  दे ,                      वो  सवेरा   ऐसा   मैं  ठूंठ  रहा  हूँ |     पाकर  जिसे  लगे  मैं  हूँ  अधूरा ,                                    एक  अदद  दिलबर  जिसे  मैं  ठूंठ  रहा  हूँ |    बिन बोले जो जान जाए सारी हक़ीक़त,        दोस्त    एक  ऐसा जो  मैं  ठूंठ रहा  हूँ |  ख्वाब  जो  करते  हो व्यर्थ  बातें ,              एक  नींद  ऐसी  जिसे  मैं  ठूंठ रहा  हूँ |  तेरे  लिए  ही  सब  छोड़   मैं  वापस  आया ,                          तुझमे  तुझको  आज  मैं क्यूँ  ठूंठ  रहा हूँ ! तुम  तक  पहुंचा  सके   जो मेरी  बात शायद,                 एक  डाकिया  ऐसा  जिसे  मैं  ठूंठ  रहा  हूँ |  मिलकर  लगे   न  जिससे  कभी  अकेला ,                         तुम ही तो वो हो   जिसे  मैं  आजकल ठूंठ  रहा  हूँ |    चाह कर भी तुमसे न मिल पाया, वो था क्या कुछ अनकहा  सा जिसे मैं  ठूंठ रहा हूँ |       

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