सफलता

पिछले परीक्षा के परिणाम आ चुके हैं, और कई अभ्यर्थियों को सफल  या  उत्तीर्ण घोषित किया गया है। मुझे लगता है, सफल और उत्तीर्ण  होना दो अलग-अलग  चीजे  है। कई बड़े  विद्वानों ने इस पर अपनी राय दी है, जैसे सफल होना आप के प्रयत्नों का द्योतक है, और भी कई  सुन्दर से स्लोगन,  जैसे क़ि  सफलता के लिए यह जरूरी है, वह जरूरी है, फलाना, ढिमाका आदि। 
फिलहाल मेरे लिए सफलता का पर्याय है कि आप अपनी उपलब्धियों से कितना खुश है। अक्सर कम  प्रतिशत वाले विद्यार्थी ज्यादा खुश रहते हैं , अधिक अंंक अर्जित करने वाले विद्यार्थियों से। समाज ने तो लोगों को सफलता के स्वाद में बिगड़ते  भी देखा है । सफलता का  रंग उन पर इस तरह चढ़ा है कि उतरने का नाम ही नहीं लेता, मानो अमुक परीक्षा ना हो गई जीवन सफलता की कुंजी हो गई ।  सफलता  ने उनके जीवन में एक अलग ही अकड़ पैदा  कर दी है | 
 पर सत्य ये भी है कि सफलता एक  दिन में नहीं मिलती यह अनवरत बिना रुके हुए कई वर्षों की मेहनत का परिणाम होती है । सफलता के लिए जो जरूरी है, वह है कठिन मेहनत के साथ निरंतरता। यदि निरंतरता नहीं रहेगी तो नदी का जमा पानी भी बदबू देने लगता है । 
और अंत में जहां तक  बात उपलब्धियां प्राप्त करने की है, यह उपलब्धियां केवल आपकी ही नहीं होती, यह आपके चाहने वालों की मेहनत का भी परिणाम होती हैं। इस सफलता में आपकी मां भी बराबर की सहभागी होती है, और एक दोस्त भी जो आपको उक्त लक्ष्य को पाने के लिए प्रेरित  है । एक पिता भी आपकी सफलता मेंं बराबर का योगदान  देता है। अध्यापक का तो कहना ही क्या, उनके जीवन का एक एकमात्र उद्देश आपकी सफलता ही है। इसके लिए वह अथक परिश्रम करते हैं और उनकी कोशिश रहती है कि उनका हर विद्यार्थी हर वह चीज  प्राप्त कर ले जिसका वह हकदार है |
तो यदि आप कोई उपलब्धि प्राप्त कर लिए हैं, तो और शालीन बनिए और धन्यवाद देना न भूलिए उन सभी को जिन्होंने इस लक्ष्य तक पहुंचने में आपको सहायता दी।
और किसी कारण वस आप यदि कुछ चीजों को प्राप्त करने से चूक गए हैं तो घबराइए नहीं, फिर से लग जाइए।
निश्चित ही एक दिन आप उसे प्राप्त कर लेंगे।


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