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Showing posts from July, 2015

पितृ दुविधा

पापा : पाया   मैंने   अभी बेटी   तेरा पैगाम ,  भगवान नहीं लाडली आदमी हूं मैं आम । कर दिया तूने यह कह के एक पल में पराया , क्या तुझे अपने बाप पर इतना तरस ना आया । माना नहीं कर पाया मैं पूरी तेरी कल्पना , पर बुना था जरूर तेरे लिए इक सपना । तू उड़ने की बात कहती है ,  मैं तो तुझे बनाना चाहता था परी । अब तू ही बता क्या होती है पूरी कभी , इस पापी संसार में ,  किसी गरीब की टोकरी । लगता है डर घूम रहे इन बाहर के खूंखार दरिंदों से , नहीं चाहता कोई दूसरी निर्भया फिर फंस जाए इन के फंदों में। बस एक उपाय मुझे अब लगता है , क्यों न तुझे दे दूं अपने चंगुल से आजादी। हो सके तो कर देना माफ मुझे , नहीं था चारा मेरे पास करने के अलावा तेरी शादी ।    *** #Efforts, #Modified #Updated on Dec 29,2019 Please give your feedback. Old oneRepost_July30,2015 #St

मेरी डायरी #2

1.    जिंदा रहना  है तो कुछ उसूल तोड़ दीजिए, अब तो खुद को बेकसूर कहना छोड़ दीजिए । वक्त के कसूरवार हैं आप भी और हम भी, क्यों बे मतलब किसी को फिर इसका दोष दीजिए । बाजी तो जीते थे हम उस रोज, अजी छोड़िए भी बहाना, अब तो अपनी हार कुबूल लीजिए । वास्ता भले ही मत रखिए हम से कोई, पर मिलने पर कभी, दूर से ही सही मुस्कुरा जरूर दीजिए। जीना बेहतर है एक पल का, घुट घुट के मरने से, यह बात अपने जहन में सोच लीजिए । *** 2. मंजिल तय करना है तो चलना पड़ेगा, आखिर मुश्किल आने पर तो संभलना पड़ेगा । असंभव सा है क्या  इस दुनिया में कुछ, गर ठान लिया है तो,  पत्थर से भी पानी निकलना पड़ेगा । *** 3. कुछ इस तरह मेरे गम से रिश्ते क्यों हैं, गम के बादल, मुझ पर ही बरसते क्यों हैं! दुनिया में लगता है अब विश्वास नहीं रहा, वरना अनमोल से  दिखने वाले रिश्ते बिकते क्यों हैं! किसे छोड़ें किसे अपनाएं, अजीब सी उलझन है, अब तो हर एक दिल से मेरे रिश्ते क्यों हैं! कुछ अजीब सी हो गई है अपनी भी हालत, एक को बचाने में दूसरे रिश्ते  फिसलते क्यों  हैं । *** #Immature_Work #modified #Efforts #Lov

मेरी डायरी #1

१. मैंने ख्वाब को आंसू में बदलते देखा है, ईमानदारी के जमीर को मरते देखा है । मुरझा जाती है एक नन्ही कली मजदूरी करते करते, मैंने चार कोस से उसे पानी भरते देखा है। क्यों न दाद दूं उसके फन की, इतना जलने के बाद भी उसे पढ़ते देखा है । शहादत के नाम पर क्यों राह भटकते सब, मौलवियों को भी इससे पीछे हटते देखा है। *** २. लफ्ज़ संभलते नहीं आजकल,  उड़ गई  मेरी जो मुस्कान है ।  ढूंढने निकला हूं आज मैं,  खो गई जो मेरी पहचान है । हर तीसरे को चाहता है दिल यह मेरा,  उलझी हुई मेरी जो दास्तान है ।  बिछड़ रहे दोस्त  सब कतरा कतरा,  चंचल मेरी जो जुबान है।  तोड दूंगा हर  बंधन इक दिन,  ऊंची जो मेरी उड़ान है । **** #Reposted  #Diary  #Love Anand July 21,2015

Single Anthem Theme Song 😊🎵🎵

हां हम अकेले अच्छे हैं, झूठे वादे, झूठी कसमों से बेहतर , तो अपनी यह दोस्ती के रिश्ते हैं, हां हम अकेले अच्छे हैं । जिंदगी से बेहतर रिश्ता है, इससे बेहतर क्या हो सकता है, खुशियों का यहां बसेरा है, यहां न गम के किस्से हैं, हां हम अकेले अच्छे हैं । होगी शायद जरूरत कभी, पर आज तो हमें पता नहीं,  क्या करना इन जज्बातों का, नजर में पलने वाले अरमानों का, जो पल पल टूटते बिखरते हैं, हां हम अकेले अच्छे हैं । दोस्ती में तो दिल से दिल का नाता है, जो समाज अभी नजर आता है, तब टूट कर बिखर जाता है, हाथ पकड़कर जब कोई ले जाता है,  रोज अखबारों में यही होते रहते चर्चे हैं, हां हम अकेले अच्छे हैं । उस इंसान का महत्व क्यों बढ़ जाता है, क्यों मां का प्यार भी उन्हें रोक ना पाता है ? खुश है हम यह सोच कर कि,  अभी भी हम अपने मां के प्यारे बच्चे हैं, हां हम अकेले अच्छे हैं । तू क्यों चिंता करता है ! क्या तुझे केमिस्ट्री मैं कपलिंग अच्छा लगता है ! क्योंकि डबल बॉन्ड स्टेबल नहीं, सिंगल के लेवल का नहीं, और फिर हम साइंस के बच्चे हैं, हां हम अकेले अच्छे हैं । *** Reposted_जुलाई २०,२०

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