पापा : पाया मैंने अभी बेटी तेरा पैगाम , भगवान नहीं लाडली आदमी हूं मैं आम । कर दिया तूने यह कह के एक पल में पराया , क्या तुझे अपने बाप पर इतना तरस ना आया । माना नहीं कर पाया मैं पूरी तेरी कल्पना , पर बुना था जरूर तेरे लिए इक सपना । तू उड़ने की बात कहती है , मैं तो तुझे बनाना चाहता था परी । अब तू ही बता क्या होती है पूरी कभी , इस पापी संसार में , किसी गरीब की टोकरी । लगता है डर घूम रहे इन बाहर के खूंखार दरिंदों से , नहीं चाहता कोई दूसरी निर्भया फिर फंस जाए इन के फंदों में। बस एक उपाय मुझे अब लगता है , क्यों न तुझे दे दूं अपने चंगुल से आजादी। हो सके तो कर देना माफ मुझे , नहीं था चारा मेरे पास करने के अलावा तेरी शादी । *** #Efforts, #Modified #Updated on Dec 29,2019 Please give your feedback. Old oneRepost_July30,2015 #St
-