पितृ दुविधा
पाया मैंने अभी
बेटी तेरा
पैगाम,
भगवान नहीं लाडली आदमी
हूं मैं आम ।
कर
दिया तूने यह कह
के एक पल में
पराया,
क्या तुझे अपने
बाप पर इतना तरस
ना आया ।
माना नहीं
कर पाया मैं पूरी
तेरी कल्पना ,
पर बुना था
जरूर तेरे लिए इक
सपना ।
तू उड़ने की
बात कहती है,
मैं
तो तुझे बनाना चाहता
था परी ।
अब तू
ही बता क्या होती
है पूरी कभी,
इस
पापी संसार में,
किसी गरीब
की टोकरी ।
लगता
है डर घूम रहे
इन बाहर के खूंखार
दरिंदों से,
नहीं चाहता
कोई दूसरी निर्भया फिर फंस जाए
इन के फंदों में।
बस
एक उपाय मुझे अब
लगता है,
क्यों न
तुझे दे दूं अपने
चंगुल से आजादी।
हो सके
तो कर देना माफ
मुझे,
नहीं था चारा
मेरे पास करने के
अलावा तेरी शादी ।
***
#Efforts,
#Modified
#Updated on Dec 29,2019
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#Stop_Rape
#Hang_The_Rapist
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