मेरी डायरी #2
1.
जिंदा रहना है तो कुछ उसूल तोड़ दीजिए,
अब तो खुद को बेकसूर कहना छोड़ दीजिए ।
वक्त के कसूरवार हैं आप भी और हम भी,
क्यों बे मतलब किसी को फिर इसका दोष दीजिए ।
बाजी तो जीते थे हम उस रोज,
अजी छोड़िए भी बहाना,
अब तो अपनी हार कुबूल लीजिए ।
वास्ता भले ही मत रखिए हम से कोई,
पर मिलने पर कभी,
दूर से ही सही मुस्कुरा जरूर दीजिए।
जीना बेहतर है एक पल का,
घुट घुट के मरने से,
यह बात अपने जहन में सोच लीजिए ।
***
***
3.
कुछ इस तरह मेरे गम से रिश्ते क्यों हैं,
गम के बादल, मुझ पर ही बरसते क्यों हैं!
दुनिया में लगता है अब विश्वास नहीं रहा,
वरना अनमोल से दिखने वाले रिश्ते बिकते क्यों हैं!
किसे छोड़ें किसे अपनाएं,
अजीब सी उलझन है,
अब तो हर एक दिल से मेरे रिश्ते क्यों हैं!
कुछ अजीब सी हो गई है अपनी भी हालत,
एक को बचाने में दूसरे रिश्ते फिसलते
जिंदा रहना है तो कुछ उसूल तोड़ दीजिए,
अब तो खुद को बेकसूर कहना छोड़ दीजिए ।
वक्त के कसूरवार हैं आप भी और हम भी,
क्यों बे मतलब किसी को फिर इसका दोष दीजिए ।
बाजी तो जीते थे हम उस रोज,
अजी छोड़िए भी बहाना,
अब तो अपनी हार कुबूल लीजिए ।
वास्ता भले ही मत रखिए हम से कोई,
पर मिलने पर कभी,
दूर से ही सही मुस्कुरा जरूर दीजिए।
जीना बेहतर है एक पल का,
घुट घुट के मरने से,
यह बात अपने जहन में सोच लीजिए ।
***
2.
मंजिल तय करना है तो चलना पड़ेगा,
आखिर मुश्किल आने पर तो संभलना पड़ेगा ।
असंभव सा है क्या इस दुनिया में कुछ,
गर ठान लिया है तो,
मंजिल तय करना है तो चलना पड़ेगा,
आखिर मुश्किल आने पर तो संभलना पड़ेगा ।

गर ठान लिया है तो,
पत्थर से भी पानी निकलना पड़ेगा ।
***
3.
कुछ इस तरह मेरे गम से रिश्ते क्यों हैं,
गम के बादल, मुझ पर ही बरसते क्यों हैं!
दुनिया में लगता है अब विश्वास नहीं रहा,
वरना अनमोल से दिखने वाले रिश्ते बिकते क्यों हैं!
किसे छोड़ें किसे अपनाएं,
अजीब सी उलझन है,
अब तो हर एक दिल से मेरे रिश्ते क्यों हैं!
कुछ अजीब सी हो गई है अपनी भी हालत,
एक को बचाने में दूसरे रिश्ते फिसलते
क्यों हैं ।
***
#Immature_Work
#modified
#Efforts
#Love
Anand
July 29, 2015
***
#Immature_Work
#modified
#Efforts
#Love
Anand
July 29, 2015
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