मेरी डायरी #1

१.
मैंने ख्वाब को आंसू में बदलते देखा है,
ईमानदारी के जमीर को मरते देखा है ।
मुरझा जाती है एक नन्ही कली मजदूरी करते करते,
मैंने चार कोस से उसे पानी भरते देखा है।
क्यों न दाद दूं उसके फन की,
इतना जलने के बाद भी उसे पढ़ते देखा है ।
शहादत के नाम पर क्यों राह भटकते सब,
मौलवियों को भी इससे पीछे हटते देखा है।

***

२.
लफ्ज़ संभलते नहीं आजकल, 
उड़ गई  मेरी जो मुस्कान है ।
 ढूंढने निकला हूं आज मैं,
 खो गई जो मेरी पहचान है ।
हर तीसरे को चाहता है दिल यह मेरा,
 उलझी हुई मेरी जो दास्तान है ।
 बिछड़ रहे दोस्त  सब कतरा कतरा,
 चंचल मेरी जो जुबान है। 
तोड दूंगा हर  बंधन इक दिन,
 ऊंची जो मेरी उड़ान है ।

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#Reposted 
#Diary 
#Love

Anand

July 21,2015


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