Skip to main content

Posts

Featured

क्या देखा?

कभी देखा है सागर की लहरों को? हां, क्या देखा? यही कि सागर सब कुछ अपने अंदर समाए हुए है और अपने में ही मस्त है  किसी की कोई फ़िक्र नहीं। अच्छा, बस इतना ही? हां,तुम बताओ तुमने क्या देखा? मैंने सागर को अपने अभिन्न हिस्से को पाने के लिए हर रोज़ एक नई शुरुआत के साथ प्रयास करते देखा। कौन से हिस्से की बात कर रही? वही हिस्सा जिसको एक नई दुनिया के निर्माण के लिए अलग होना पड़ा था। अच्छा, मतलब चंद्रमा  हां, क्यूं कि सागर जनता है चंद्रमा को और उसकी निःस्वर्थ प्रेम को  जोकि उसको कोई हानि न पहुंचाते हुए सागर को उसके उदगम से अलग नहीं होने दिया। क्योंकि चंद्रमा को पता है उदगम से अलगाव की पीड़ा। पर सागर वो उस आंतरिक अपनेपन को इतनी भालीभाति जनता है कि हर रोज़ प्रयास करता। अच्छा, हां तभी तो शायद चंद्रमा पर पानी नहीं है और सागर खारा है। ~शिखा 🌸

Latest Posts

Love

कविता

Life

भ्रम

सफर

मापदंड

पहचान

It was hard

हम तुम जीवित रहेंगे..

जाना