कहानियां


 सब अपने अंदर कहानियां लेके घूम रहे,

अपनी अपनी अलग अलग कहानियां,

कुछ खुशनुमा,कुछ उदास, कुछ भयावह ,कुछ मायूस,कुछ ऐसी जिनको कहानी जीने वाले  भी खुद परिभाषित नहीं कर पाए, 

और इतनी शांति से घूम रहें हैं जैसे उनकी कहानियां उनके हिसाब से चल रहीं हों,

बिना किसी को तनिक भी भनक लगे,

कुछ शायद  जो जी  नहीं पाए उन कहानियों को वो जीते हैं उनको सपनों में और वो उनमें इतना खो जाते हैं वे नहीं कर पाते फर्क...

और जब उससे बाहर निकलते हैं   उनको उन कहानियों में समता न होने पे उन्हें चाहिए होती हैं दूसरों की कहानियां...

और जब उससे बाहर निकलते हैं ,

एक तीव्र धड़कन और उच्च ऊर्जा के साथ,

उनको दोनों कहानियों में समता न होने पर,

 वे करते हैं अपनी वर्तमान कहानी को उस कहानी में समरूपता लाने का प्रयास,

और कहानियों की सबसे अच्छी बात ये रहीं हैं एक ज़िंदगी के लिए ये होती हैं असंख्य,कभी अल्प , कभी गतिशील,तो कभी  स्थिर..

और अंत में ज़िंदगी ने सभी को खुद में समाहित कर अपना नाम दे दिया....

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