वो चीजें
वो चीजें जिनको पाने के लिए तुम तड़प रहे थे,
वो मिली तो तुम ऐसे चुप क्यूं हो गए?
वो पहले जैसा उत्साह , आंखों की चमक कहां गई?
कहीं ऐसा तो नहीं तुमने इनका ही सौदा कर दिया?
और बदले में मिली चुप्पी, भीनी सी मुस्कान..
वो चीज़ें जो असाधारण और दुर्लभ हैं,उनको तुमने अशुभ क्यूं बना दिया?
जैसे टूटता तारा..
और अगर अशुभ नहीं माना तो मन्नतें क्यूं मांगी?
इसलिए कि जीवन की अंतिम सांसे ले रहा? और मरते की मुराद पूरी होती है?
वो आजादी जब तुम्हे मिली तो बोझ क्यूं लगने लगी?
क्यूंकि इसके साथ तुम्हें उत्तरदायित्ववता तुमको उपहार में मिली ,जिसके लिए तुम तैयार नहीं थे?
या फिर इनको ढोते ढोते तुम थक गए...
किसी के साथ देने के लिए पूछने पर तुम निरुत्तर क्यूं हो गए?
तुम ऐसे तो नहीं थे न?
उनको जिनको मलाल था हर बात का, सब सही हो गया तो क्या किया?
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