रोशनी


किसी को मिल गई रोशनी

किसी के हिस्से आया अंधेरा

कोई रात भर भटका 

 किसी को मिल रहा सवेरा।

किसी को यकीं है बहुत

किसी को मलाल है मगर

मिला जो था राह में 

बिछड़ सा वो गया,

इक सफ़र में भी है

इक सफ़र वो भी था

कोई इधर आ गया

कोई उधर रह गया।


कभी दिल से जुड़ के भी
कभी फासले रख के भी
कोई ख़्वाब पूरे हुए
कोई ख्वाब टूटते रहे,
किसी को मिली मंज़िलें
किसी का रास्ता भटक गया,
साथ चलते हुए भी
कोई कहीं छूट गया।



 

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